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49: मैं बहुत बोलती हूँ क्यूँकि जो नहीं बोल पाईं उन स्त्रियों के हिस्से का भी बोलती हूँ: गीता श्री

Informações:

Sinopsis

पत्रकार और कथाकार गीता श्री ने देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थाओं में लम्बे समय तक काम किया. 'आऊटलुक हिंदी' में बतौर फ़ीचर सम्पादक किए उनके काम को यादगार माना जाता है लेकिन उनके भीतर के लेखक और पत्रकार के बीच एक तरह का क्रिएटिव कानफ़्लिकट और आपसदारी का रिश्ता हमेशा रहा. उनकी शुरुआती किताबें इस रिश्ते से निकली और उन्होंने हिंदी स्त्रीवादी लेखन को जेरेबहस करने में एक भूमिका निभाई. उनकी प्रकाशित कृतियों में 'स्त्री को पुकारता है स्वप्न', 'डाउनलोड होते हैं सपने', 'हसीनाबाद' और 'भूत खेला' शामिल हैं. 'हसीनाबाद को आप स्टोरीटेल पर सुन भी सकते हैं.  इस बातचीत में गीता श्री अपने पारिवारिक सामाजिक माहौल और धीरे धीरे एक पत्रकार और लेखक बनने की यात्रा पर बात कर रही हैं - एक यात्रा को उनके लिए ख़ुद को स्त्री के तौर पर परिभाषित करने की यात्रा भी रही है और अपने समाज और देश में स्त्री होने को समझने की भी.  आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे?  email: support@storytel.in  स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ जाएँ.